
भगवान सूर्य के रथ में क्यों लगे होते हैं सात घोड़े?
भगवान सूर्य को नवग्रह का राजा कहा जाता है। उन्हें आदित्य, भानु और रवि जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। कहते हैं कि सूर्यदेव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो अपनी रोशनी से सारे संसार में उजाला करते हैं। इनके दर्शन भी साक्षात होते हैं साथ ही सूर्यदेव सात घोड़ों से सुशोभित सोने के रथ पर रहते हैं। इनके रथ में लगे सात घोड़ों की कमान अरुण देव के हाथ में होती है। परंतु क्या आप जानते हैं कि जिस रथ पर भगवान सूर्य सवार रहते हैं उसमें सात घोड़े ही क्यों रहते हैं?
दरअसल भगवान सूर्य जिस सात घोड़े वाले रथ पर सवार रहते हैं उसके संबंध में धार्मिक ग्रंथों में कई पौराणिक प्रचलित हैं। सूर्यदेव के रथ को संभालने वाले इन सात घोड़ों के नाम – गायत्री, भ्राति, उष्निक, जगती, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति हैं। इसके बारे में मान्यता है कि ये अलग अलग दिनों को दर्शाते हैं जो स्वयं सूर्यदेव की किरणों से उत्पन्न हुई हैं। साथ ही सूर्यदेव के इन सात घोड़ों को इंद्रधनुष के सात रंगों से जोड़कर भी देखा जाता है।
अगर ध्यान से देखा जाए तो इन सातों घोड़ों के रंग एक दूसरे से अलग होते हैं और ये सभी घोड़े एक दूसरे से अलग नजर आते हैं। ये सभी घोड़े स्वयं सूर्य की रोशनी का प्रतीक हैं। भगवान सूर्य के सात घोड़े वाले रथ पर सवार होने से प्रेरणा लेकर सूर्यदेव के कई मंदिरों में उनकी मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इसमें खास बात ये है कि उनकी सारी मूर्तियां उनके रथ के साथ ही बनाई गई हैं |
We have seen in pictures a Chariot with 7 horses and Lord Sun is sitting in that. And Arun is the charioteer or saarthi of that rath. #7_horses_of_sun