5 ऐसे स्थान जहाँ आज भी मौजूद हैं भगवान् शंकर के पैरों के निशान

भगवान शिव जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है, आज हम आपको बताने जा रहे हैं 5 ऐसे स्थान जहाँ आज भी मौजूद हैं भगवान् शिव के पैरों के निशान.

1) श्रीपद– श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं जिसे एडम्स पीक या श्रीपदा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पहाड़ है जिसे रामायण काल से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि रामायण के युद्ध के दौरान लक्ष्मण मेघनाद के वाण से घायल हो गए थे और उन्हें बचाने के लिए उस वक्त संजीवनी बूटी की आवश्यकता थी। हनुमान हिमालय की कंदराओं में संजीवनी बूटी को तलाशते रहें लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अत: समस्या के हल के लिए उन्होंने संपूर्ण पहाड़ को ही ले जाने का फैसला किया और मान्यताओं के अनुसार यही उस पहाड़ का टुकड़ा है।

बता दें, यह पहाड़ रतनपुर जिले में स्थित है और समनाला माउंटेन रेंज का हिस्सा है। घने जंगलों में स्थित यह पहाड़ स्थानीय लोगों में रहुमाशाला कांडा के नाम से प्रसिद्ध है। इस पहाड़ पर बने मंदिर में भगवान शिव के पैरों के निशान है। यहां लोगों की ऐसी मान्यता है कि मानव जाति को अपना दिव्य प्रकाश देने के लिए इस स्थान पर भगवान शिव प्रकट हुए थे इसलिए इस स्थान को सिवानोलीपदम या शिव का प्रकाश भी कहा जाता है। करीब 2200 मीटर की ऊचांई पर स्थित इस पहाड़ की एक और खासियत है और वह ये कि यहां कीमती पत्थरों का भंडार है। यह तो रही धार्मिक मान्यताओं की बात, लेकिन इसके अलावा भी यह स्थान इस वजह से भी मशहूर है क्योंकि यहां से एशिया का सबसे अच्छा सूर्योदय देखा जाता है और इसी के चलते यहां साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा ही रहता है। इस पहाड़ से प्रकृति का जो दृश्य देखने को मिलता है वह वाकई में दिल को खुश कर देने वाला होता है।

2) रुद्र पद- तमिलनाडु के थिरुवेंगडू तथा थिरुवन्ना मलाई में है महादेव के पैरों के निशान: भारत के तमिलनाडु राज्य के थिरुवेंगडू में एक श्रीस्वेदारण्येश्वर का मंदिर है। इसी मंदिर में महादेव के पैरों के निशान उपस्थित है। यहां पर इन पैरों के निशान को ‘रूद्र पदम’ कहा जाता है। जबकि महादेव के पैरों का दूसरा निशान तमिलनाडु के ही थिरुवन्ना मलाई में उपस्थित है।

3) तेजपुर- असम के तेजपुर में है महादेव के दाएं पैर का निशान: महादेव के दाएं पैर का यह निशान असम के शोणितपुर शहर के तेजपुर शहर के रुद्र्पद मंदिर में उपस्थित है। यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बना हुआ है।

4) जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के मंदिर के पास शिव के पदचिह्न हैं। महादेव के इन पैरों के निशान के बारे में ऐसी प्रथा है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तब पांडवों की इच्छा महादेव के दर्शन करने और उनके सानिध्य में रहने की हुई। उधर महादेव ध्यान करने के लिए कैलाश पर्वत जाना चाहते थे। किन्तु पांडव इस बात से सहमत नहीं थे। इस पर महादेव पांडवों को चकमा देकर कैलाश पर्वत पर चले गए थे। ऐसा कहा जाता है कि जहां से महादेव ने कैलाश पर्वत जाने के लिए प्रस्थान किया था, उसी जगह पर आज भी उनके पैरों के निशान देखे जा सकते हैं।

5) रांची- झारखण्ड के रांची में भी है महादेव के पैर का निशान: झारखण्ड के रांची रेलवे स्टेशन से तकरीबन 7 किमी दूर ‘रांची हिल’ नामक एक पहाड़ी है। इसी पहाड़ी पर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर को पहाड़ी मंदिर अथवा नाग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में महादेव के पैरों के निशान आज भी उपस्थित हैं। इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि श्रावण के माह में एक नाग मंदिर में ही अपना डेरा डाले रहता है। इस स्थान को ‘पहाड़ी बाबा मंदिर’ कहा जाता है।

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