गरुड़ पुराण के अनुसार मांसहार पाप है या पुण्य Garuda Purana Secrets स्वयं श्रीकृष्ण क्या कहते हैं ?
हिन्दू धर्म में मांस खाना मना है या नहीं है इस संबंध में कई लोगों के मन में भ्रम है भाँतियाँ है। तो आपकी जिज्ञासा को हम शुरू में ही शांत कर दें की शाकाहारी भोजन को हिन्दू धर्म में उत्तम माना है। शास्त्रों में कहा गया है :
अहिंसा परमो धर्मः
हर धर्म में अहिंसा को सबसे परम धर्म माना गया है। वह हिंसा जो अत्याचारी से अपनी रक्षा के लिए ना की गई हो, उसे सबसे बड़ा अधर्म माना जाता है और मांस का भोजन इसी प्रकार की हिंसा से प्राप्त होता है। इस तरह हिंदुओं के लिए मांस खाना सबसे बड़ा पाप माना जाता है। मांसभक्षण को लेकर महाभारत में घोर निंदा की गई है। महाभारत में कई ऐसे श्लोक हैं जो मांस ना खाने के आदेश देते हैं।
स्वमांसं परमांसेन यो वर्धयितुमिच्छति।
नाति क्षुद्रतरस्तस्मात्स नृशंसतरो नर।।
इस श्लोक का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति दूसरों के मांस से अपना मांस बढ़ाना चाहता है, उससे बढ़कर नीच और निर्दयी मनुष्य दूसरा कोई नहीं है।
वेद ही हिन्दू धर्म के धर्म ग्रंथ है। वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। आइये तीनों का मत जान लेते हैं। वेदों में मांस खाने के संबंध में स्पष्ट मना किया गया है।
Please see the video till the end & if you have any questions, please feel free to ask in the comment box below. You may also find us at:
Facebook: https://www.facebook.com/FusionOfHinduShakti/
Twitter: https://twitter.com/DharamSanskriti
Instagram: https://www.instagram.com/dharamsanskriti/
Dharam Sanskriti | Mahabharata | Ramayana | Gita | vishnu Purana | Pauranik Sangrah | Mythology | Purana | Pauranik katha | Pauranik kahaniya | Veda | Hinduism |
#dharamsanskriti #dharamsanskritilive