श्राद्ध क्या है और क्यों किया जाता है सबसे पहले श्राद्ध किसने किया ?
हिन्दू धर्म में तीन प्रकार के ऋण के बारे में बताया गया है, देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। इन तीनों ऋण में पितृ पक्ष या श्राद्ध का महत्व इसलिए है क्यों की पितृ ऋण सबसे बड़ा ऋण माना गया है। लेकिन आपको मालूम है कि हिंदू धर्म में सबसे पहले श्राद्ध की कर्म विधि किसने की थी |
महाभारत काल से श्राद्ध विधि का वर्णन सुनने को मिला है। श्राद्ध पक्ष को 16 श्राद्ध कहा जाता है, जो भाद्रपद माह की पूर्णिमा से प्रारंभ होता है तथा पूरे 16 दिन आश्विन की अमावस तक माना जाता है। इन 16 दिन श्राद्ध-तर्पण इत्यादि कार्य किए जाते हैं। कैसा शुरु हुआ था श्राद्ध, किसने सबसे पहले किया था श्राद्ध?
श्राद्ध पर्व पर यह कथा अधिकांश क्षेत्रों में सुनाई जाती है। कथा के अनुसार, महाभारत के दौरान, कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुंची तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिए गए। कर्ण की आत्मा को कुछ समझ नहीं आया, वह तो आहार तलाश रहे थे।
उन्होंने देवता इंद्र से पूछा किउन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया गया। तब देवता इंद्र ने कर्ण को बताया कि उसने अपने जीवित रहते हुए पूरा जीवन सोना दान किया लेकिन अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया। तब कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर सकें।
इस सबके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और 16 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जहां उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें आहार दान किया। तर्पण किया, इन्हीं 16 दिन की अवधि को पितृ पक्ष कहा गया। महाभारत के अनुशासन पर्व में भी भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में कई ऐसी बातें बताई हैं, जो वर्तमान समय में बहुत कम लोग जानते हैं।
महाभारत में ये भी बताया गया है कि श्राद्ध की परंपरा कैसे शुरू हुई आज हम आपको श्राद्ध से संबंधित कुछ ऐसी ही रोचक बातें बता रहे हैं |
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