क्या विभीषण वास्तव में एक कुलद्रोही और गद्दार था? Dharam Sanskriti
क्या विभीषण वास्तव में एक कुलद्रोही और गद्दार था? पहली चीज हमें यह समझनी होगी कि राजा, राष्ट्र नहीं होता, वो केवल राष्ट्र की एक इकाई होता है. राजा का विरोध, राष्ट्र का विरोध नहीं होता. अगर राजा अयोग्य हो तो उसे उसके पद से हटा देने अथवा मृत्युदंड देने में भी नैतिक रूप से कोई दोष नहीं. दुर्भाग्यवश रावण लंका के लिए ऐसा ही राजा सिद्ध हुआ था. अपनी एक अनुचित इच्छा को पूरा करने के लिए वो राष्ट्र को विनाशकारी युद्ध में ढकेलने पर तुला हुआ था. इस प्रकार असल में देशद्रोही वो खुद था.
अब आते हैं विभीषण पर तो बात ये है कि विभीषण ने कभी भी अपने राष्ट्र यानी लंका का त्याग नहीं किया, उन्होंने केवल वहां के पतनशील राजा का त्याग किया था. अगर वे लंका का त्याग किए होते तो अकेले वहाँ से नहीं निकलते वरन अपनी पत्नी और पुत्रों को लेकर निकलते और राम के पास जाने की बजाय कहीं जंगल-पहाड़ में जाकर बस जाते. लेकिन उन्हें लंका से मोह था.
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